लेखनी कविता - लंच बॉक्स - बालस्वरूप राही

158 Part

30 times read

0 Liked

लंच बॉक्स / बालस्वरूप राही मम्मी, छोड़ो लाड़-दुलार, लंच बॉक्स कर दो तैयार। सब्जी खूब मसालेदार, गरम पूरियाँ पूरी चार। पापड़ हो जाता बेकार, रख दो चटनी और आचार। क्यों देतीं ...

Chapter

×